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नारायण बली पूजा – पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र अनुष्ठान

🔱 नारायण बली पूजा क्या है?

नारायण बली पूजा एक प्राचीन वैदिक अनुष्ठान है, जिसका उद्देश्य उन पूर्वजों की आत्माओं को शांति और मोक्ष दिलाना होता है जो अधूरी इच्छाओं या अपूर्ण कर्मों के कारण पितृलोक में फंसे रहते हैं।
यह पूजा गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णित है।

इस अनुष्ठान के दौरान गेहूं के आटे से एक कृत्रिम मानव शरीर बनाया जाता है, जिसमें पंडित मंत्रों द्वारा आत्मा को आमंत्रित करते हैं। अनुष्ठान के अंत में उस आत्मा का “अंतिम संस्कार” वैदिक रीति से किया जाता है, जिससे उसे मुक्ति प्राप्त होती है।


⚰️ नारायण बली पूजा का उद्देश्य

  • पितृदोष या पूर्वजों के श्राप को समाप्त करना
  • अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं या आत्महत्या से पीड़ित आत्माओं की मुक्ति
  • परिवार में लगातार आर्थिक रुकावटें, मानसिक कष्ट, या संतान की समस्या को दूर करना
  • घर-परिवार में शांति, समृद्धि और संतुलन बनाए रखना

🐍 नारायण बली और नागबली पूजा में अंतर

विशेषतानारायण बली पूजानागबली पूजा
उद्देश्यपूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्तिसर्प वध या सर्प दोष से मुक्ति
प्रतीकगेहूं से बने मानव शरीर का संस्कारगेहूं से बने सर्प शरीर का संस्कार
उल्लेखस्कंद पुराण और पद्म पुराणस्कंद पुराण में विस्तारपूर्वक वर्णित
फलपितृदोष और अधूरी इच्छाओं की शांतिनागदोष, सर्पदोष और अकाल मृत्यु से राहत

🙏 कौन कर सकता है नारायण बली पूजा?

  • सभी जाति और वर्ग के व्यक्ति
  • जिनके माता-पिता जीवित हैं, वे भी कर सकते हैं
  • पति-पत्नी साथ मिलकर पूजा करें तो अधिक फलदायक
  • विधुर व्यक्ति अकेले भी यह अनुष्ठान कर सकते हैं
  • महिलाएं गर्भावस्था के पांचवें महीने तक यह पूजा कर सकती हैं
  • मृत्यु के एक वर्ष बाद यह पूजा कराना श्रेष्ठ माना जाता है

🔮 नारायण बली पूजा विधि (संक्षेप में)

  1. स्नान एवं शुद्धिकरण – पूजा से पहले स्वयं को और स्थल को पवित्र करें।
  2. कलश स्थापना एवं संकल्प – ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आवाहन कर संकल्प लें।
  3. कृत्रिम शरीर निर्माण – गेहूं के आटे से मानव रूप तैयार किया जाता है।
  4. मंत्रोच्चार एवं आह्वान – पंडित विशेष मंत्रों से आत्मा का आह्वान करते हैं।
  5. अंत्येष्टि क्रिया – आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाने हेतु अंतिम संस्कार करते हैं।
  6. पितृ तर्पण एवं हवन – पूजा के समापन पर पितरों के नाम से तर्पण और हवन।

पूजा की अवधि सामान्यतः 2 से 3 घंटे होती है और इसे विशेष तिथियों या श्राद्ध पक्ष में करना अत्यंत फलदायक होता है।


🌿 नारायण बली पूजा के लाभ

  • पितृदोष एवं पूर्वजों के श्राप से मुक्ति
  • संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाओं का निवारण
  • परिवार में स्थिरता, सुख और समृद्धि की वृद्धि
  • अनचाहे कष्ट, भय, और मानसिक अशांति से मुक्ति
  • कर्मबंधन और आत्मिक शांति की प्राप्ति

🕉️ उज्जैन में नारायण बली पूजा क्यों करें?

उज्जैन, भगवान महाकाल की नगरी, मोक्षस्थली मानी जाती है। यहाँ किए गए पितृ कर्म और श्राद्ध अनुष्ठान अत्यंत फलदायक माने गए हैं।
हमारे अनुभवी पंडितों की टीम वैदिक विधि से पूजा सम्पन्न कराती है — जिससे पूजा का हर चरण शास्त्रोक्त रीति से होता है।


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📍 स्थान: सिद्धवट घाट, उज्जैन, क्षिप्रा नदी के तट पर


FAQs – नारायण बली पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न

Q1. नारायण बली पूजा कब करनी चाहिए?
➡ मृत्यु के एक वर्ष बाद या पितृपक्ष में करना शुभ माना जाता है।

Q2. क्या जीवित माता-पिता के रहते पूजा हो सकती है?
➡ हाँ, यह पूजा हर व्यक्ति कर सकता है, इसमें कोई प्रतिबंध नहीं।

Q3. पूजा में कितना समय लगता है?
➡ सामान्यतः 2 से 3 घंटे में पूजा सम्पन्न हो जाती है।

Q4. क्या यह पूजा उज्जैन में करना आवश्यक है?
➡ नहीं, परंतु उज्जैन को मोक्षदायी भूमि माना जाता है, इसलिए यहाँ पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।


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