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मंगल का प्रभाव और वैवाहिक जीवन में समस्याएं
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मंगल का प्रभाव और वैवाहिक जीवन में समस्याएं: जानिए क्या हैं कारण और उपाय
ज्योतिष में मंगल ग्रह का प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, खासकर जब बात वैवाहिक जीवन की हो। मंगल को युद्ध, साहस और ऊर्जा का ग्रह माना जाता है, लेकिन जब यह ग्रह किसी की कुंडली में अशुभ स्थिति में होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। मंगल का प्रभाव वैवाहिक संबंधों में तनाव, संघर्ष और अविश्वास का कारण बन सकता है, जिससे जीवन साथी के साथ संबंधों में उथल-पुथल हो सकती है। इस ब्लॉग में हम समझेंगे कि मंगल के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में क्या समस्याएं उत्पन्न होती हैं और उनके उपाय क्या हो सकते हैं।
मंगल का प्रभाव और वैवाहिक जीवन
मंगल को “क्रूर ग्रह” के रूप में जाना जाता है, और इसका असर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में हो सकता है। जब मंगल किसी की कुंडली में अशुभ स्थान पर होता है, जैसे सप्तम भाव में, तो इसका सीधा असर वैवाहिक जीवन पर पड़ सकता है। सप्तम भाव विवाह और जीवन साथी से जुड़ा होता है, और जब मंगल इस स्थान पर स्थित होता है, तो वैवाहिक जीवन में संघर्ष और विवाद हो सकते हैं।
मंगल का प्रभाव किसी व्यक्ति के स्वभाव, क्रोध, इच्छाशक्ति और उग्रता को भी प्रभावित करता है। ऐसे में, यदि मंगल की स्थिति कुंडली में सही नहीं है, तो व्यक्ति के जीवन में अहंकार, झगड़े और असहमति बढ़ सकती है। यह समस्याएं विवाह के संबंधों को तनावपूर्ण बना सकती हैं।
मंगल के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं
- क्रोध और आक्रामकता: मंगल का प्रमुख गुण है उग्रता और क्रोध। अगर मंगल आपके सप्तम भाव में स्थित हो, तो यह आपको जल्दी गुस्से में लाने का कारण बन सकता है। छोटे-छोटे मामलों पर गुस्सा आना और उसे नियंत्रित न कर पाना वैवाहिक संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है।
- अविश्वास और संदेह: मंगल के अशुभ प्रभाव से वैवाहिक जीवन में अविश्वास और संदेह की भावना पैदा हो सकती है। एक या दोनों जीवन साथी एक-दूसरे पर संदेह करने लगते हैं, जिससे रिश्तों में दूरियां बढ़ सकती हैं।
- शारीरिक समस्याएं: मंगल का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। यदि मंगल कमजोर या अशुभ स्थिति में हो, तो विवाह के बाद शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कमजोरी, थकान या स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे।
- समय की कमी और दूरियां: मंगल का प्रभाव व्यक्ति की जीवनशैली पर भी पड़ता है, जिससे वैवाहिक जीवन में समय की कमी और एक-दूसरे से दूरियां हो सकती हैं। यह कार्यक्षेत्र में अत्यधिक व्यस्तता या घर की जिम्मेदारियों में कमी की वजह से हो सकता है।
- राहुल दोष और मंगल दोष: जब कुंडली में मंगल और राहु की स्थिति सही नहीं होती, तो इसका असर भी वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। यह दोष तनाव और कष्टों का कारण बन सकते हैं, जो विवाह में स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
मंगल के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय
यदि आपकी कुंडली में मंगल का प्रभाव आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर रहा है, तो आप कुछ ज्योतिषीय उपायों का पालन करके इन समस्याओं को कम कर सकते हैं।
- मंगल पूजा और व्रत: मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से मंगलवार के दिन पूजा और व्रत करना चाहिए। मंगल के मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः मङ्गलाय नमः” का जाप करने से मंगल का अशुभ प्रभाव कम होता है और वैवाहिक जीवन में शांति आती है।
- लाल वस्त्र पहनें: मंगल के रंग लाल होते हैं। इसलिए, लाल रंग के कपड़े पहनना मंगल के अशुभ प्रभाव को कम कर सकता है और वैवाहिक जीवन को सकारात्मक दिशा में बढ़ा सकता है।
- दान और मदद करें: मंगल को प्रसन्न करने के लिए आप लाल रंग की वस्तुएं, जैसे लाल मसूर, ताम्बा, या लोहे का दान कर सकते हैं। यह उपाय मंगल की ऊर्जा को शांत करता है और आपके जीवन को सुखमय बनाता है।
- हनुमान जी की पूजा: हनुमान जी को मंगल का रूप माना जाता है। प्रत्येक मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगल के प्रभाव को सकारात्मक दिशा में मोड़ा जा सकता है, और विवाह में सुख-शांति बनाए रखी जा सकती है।
- राहु-मंगल दोष का समाधान: यदि आपकी कुंडली में राहु-मंगल दोष है, तो इसके लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं, जैसे हनुमान जी की पूजा और काले तिल का दान। यह दोष भी वैवाहिक जीवन में संतुलन लाने में मदद करता है।
निष्कर्ष
मंगल ग्रह का प्रभाव यदि सही दिशा में हो, तो यह व्यक्ति को साहस, ऊर्जा और उत्साह प्रदान करता है। लेकिन जब यह ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में संघर्ष, तनाव और समस्याओं का कारण बन सकता है। ऐसे में, ऊपर दिए गए उपायों का पालन करके आप मंगल के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं और अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बना सकते हैं। सही उपायों और ज्योतिषीय मार्गदर्शन से जीवन में शांति और सामंजस्य बनाए रखना संभव है।
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