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गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा – उज्जैन में समाधान का सरल तरीका

🕉️ गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा – उज्जैन में समाधान का सरल तरीका

🪔 1. परिचय

गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा एक विशेष वैदिक विधि है जो उन जातकों के लिए की जाती है जिनका जन्म बुध या केतु द्वारा शासित छह नक्षत्रों—अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती—में हुआ हो। यह पूजा इन नक्षत्रों के अशुभ प्रभावों को शांत करने और जीवन में स्थिरता लाने में मदद करती है।


🌙 2. गंडमूल नक्षत्र क्या है?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्रमा अपने पथ में 27 नक्षत्रों से होकर गुजरता है। इनमें से छह नक्षत्र—अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती—को गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है। इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले जातक को जीवन में अनिश्चित परिस्थितियों, मानसिक तनाव, या पारिवारिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।


🔮 3. गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा का महत्व

गंडमूल दोष होने पर जातक के जीवन में संघर्ष बढ़ सकता है। यह दोष न केवल व्यक्ति को प्रभावित करता है बल्कि कभी-कभी परिवार की सुख-शांति पर भी असर डालता है।
इसलिए, गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा करवाना अत्यंत आवश्यक माना गया है। यह पूजा ग्रहों के दुष्प्रभावों को शांत करती है और नवजात शिशु या वयस्क दोनों के जीवन में शुभता लाती है।


🕰️ 4. पूजा कब करनी चाहिए?

  • यह पूजा जन्म के 27 दिनों के भीतर करना श्रेष्ठ माना गया है।
  • यदि पहले नहीं हुई हो, तो किसी शुभ मुहूर्त में बाद में भी की जा सकती है।
  • विशेष रूप से आचार्य या विद्वान पंडित की उपस्थिति में इस पूजा को सम्पन्न करना आवश्यक है।

🪷 5. गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा की विधि (Step-by-Step Process)

  1. स्थान की शुद्धि – पूजा स्थल को शुद्ध करें और कलश स्थापना करें।
  2. पूजा सामग्री की तैयारी – फूल, दीपक, धूप, अर्पण, मंत्र-पत्र और हवन सामग्री तैयार रखें।
  3. पंडित आमंत्रण – योग्य पंडित या आचार्य की सहायता लें जो नक्षत्र शांति के मंत्र जानते हों।
  4. मंत्रोच्चारण और जप – प्रत्येक नक्षत्र के लिए विशिष्ट मंत्रों का जाप किया जाता है।
  5. हवन – शांति हेतु विशेष हवन किया जाता है जिससे नक्षत्रों की शुद्धि होती है।
  6. प्रदक्षिणा और अर्पण – अंत में देवी-देवताओं को अर्पण कर आशीर्वाद लिया जाता है।
  7. पुण्याहवाचन – पंडित के द्वारा शिशु या जातक को दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद दिया जाता है।

🌸 6. पूजा के लाभ (Benefits)

  • नक्षत्र दोषों से मुक्ति
  • पारिवारिक कलह और अशांति में कमी
  • स्वास्थ्य और मानसिक शांति की प्राप्ति
  • नवजात शिशु के लिए शुभ शुरुआत
  • जीवन में स्थिरता और सफलता

🕉️ 7. उज्जैन में गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा क्यों करें?

उज्जैन, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भूमि है जहाँ समय और कर्म दोनों ही पवित्र माने जाते हैं। यहाँ सिद्ध पंडितों द्वारा की गई पूजा का फल अनेक गुना बढ़ जाता है।
हमारी टीम के अनुभवी आचार्य वैदिक विधि से गंडमूल शांति कराते हैं जिससे जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सुखद परिवर्तन आते हैं।


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❓ 9. FAQs – गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा से जुड़े सामान्य प्रश्न

Q1. गंडमूल नक्षत्र शांति पूजा कब करनी चाहिए?
जन्म के 27 दिनों के भीतर करना श्रेष्ठ है, परंतु बाद में भी शुभ मुहूर्त में की जा सकती है।

Q2. यह पूजा किन नक्षत्रों के लिए की जाती है?
अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती नक्षत्रों के लिए।

Q3. क्या यह पूजा नवजात शिशु के लिए अनिवार्य है?
हाँ, यह शांति पूजा नवजात के कल्याण और रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक मानी जाती है।

Q4. क्या वयस्क व्यक्ति भी यह पूजा करा सकते हैं?
हाँ, यदि जन्म कुंडली में गंडमूल दोष है, तो वयस्क भी यह पूजा कर सकते हैं।

Q5. क्या यह पूजा उज्जैन के बाहर भी करवाई जा सकती है?
संभव है, परंतु उज्जैन में सिद्ध स्थलों जैसे सिद्धवट या महाकाल परिसर में पूजा कराने का प्रभाव अधिक होता है।


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